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AAM AADMI PARTY

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आदमी पार्टी के आलोचकों से कुछ प्रश्न: * यदि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी के सत्ता में आने की संभावना नगण्य है तो समस्या कहाँ है ? * यदि अरविन्द केजरीवाल की पार्टी सत्ता में आ भी जाती है तो वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था की अपेक्षा क्या अधिक बुरा होगा ? * यदि ग्राम सभा को मामलों में नीति बनाने का अधिकार देना गलत है तो यह कहाँ तक उचित है की संसद वैसी ही नीति बनाए ? * हमारे राजनेता संसद को कब्जे में रखकर इसी प्रकार मनमानी करते रहें और जनता को कोई वकल्प नहीं दिखा तो जनता अगर लीबिया जैसे हर समस्या का समाधान राजनेताओं को सूली पर चढ़ाना मान ले तो जनता का क्या दोष ? * भारत में अभी वैसी स्थिति नहीं है क्योंकि भारत में लोकतंत्र है जहां राजनेताओं को वोट की सूली पर चढाने का अधिकार जनता को प्राप्त है । ऐसे में यदि कोई दल यह विकल्प जनता के सामने रखे तो इतनी तिलमिलाहट क्यों ? * पक्ष-विपक्ष के नाम पर बने एक राजनीतिक गिरोह को तोड़ने का काम अन्ना हजारे करें, रामदेव करें, अरविन्द केजरीवाल करें, आम आदमी पार्टी करे या मीडिया -उसकी समीक्षा होनी चाहिए या आलोचना ? =========================== No...

BUDGET BLUEPRINT

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* The fundamental principle of taxation is to list the consumables in their order of priority of usage and start taxing them from the bottom up. For ex., Food will be topmost and luxury cars would be near the bottom of such a list. * There are two classes of people in the Indian Economy :- 1) The villager, proletariat, manufacturer of basics, below poverty line. 2) The urban, intellectual, elite, industrialist, above poverty line. We need an economic policy which encourages the former even if it is partially adverse towards the latter. Unfortunately, our economic policies are encouraging the latter more than the former. * Successful economics should mean minimum variation of pricing between producer and consumer. * Businessmen never give tax. Tax is given by producer and consumer. Trader is only a medium. * Tax and controls are springtime for traders. These are very helpful in corrupt trade practices. * Taxes and controls are the root of corruption. The more they are in numbers and q...

Hyderabad Blasts

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  हैवानियत  से दहला हैदराबाद.... फिर से !! "न हिन्दू मरा है न मुसलमान मरा है , सत्ता है सुरक्षित पर इंसान मरा है...!"      एक बार फिर आतंकवाद ने हैदराबाद को लपेट लिया | 21 फरवरी के दोहरे विस्फोटों ने फिर से साबित कर दिया कि भारत आतंकवादियों के लिए साफ्ट टार्गेट है | मीडिया के खबरों के अनुसार एक बम उस  स्थान से बरामद हुआ है जहां कुछ वर्ष पूर्व ऐसा ही विस्फोट हुआ था ।  हमले के तुरंत बाद राजनेताओं के बयान भविष्य के लिए स्पष्ट संकेत हैं |  प्रधानमंत्री से लेकर गुजरात के मुख्यमंत्री, भाजपा के करिश्माई नेता नरेन्द्र मोदी तक  सभी   ने संवेदनाएं व्यक्त की | इस बीच केन्द्रीय गृहमंत्री ने कहा की हमले की खुफिया पूर्वसूचना थी | प्रश्न है की पूर्वसूचना के बावजूद यह  दुष्कृत्य सरंजाम कैसे हुआ ? देश की आतंरिक सुरक्षा व्यवस्था क्या कर रही थी ? स्पष्ट है की निरीह जनता बेचारी पीड़ा से कराह रही है और राज्यसत्ता ने उन्हें रामभरोसे छोड़ दिया है |       सवाल है कि जब देश के दोनों बड़े राजनैतिक दल जनता को आश्वस्त करने की बजाय...

Thakur Das Bang Obit

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गांधीवाद का बंग भंग www.lokswarajmanch.blogspot.com प्रसिद्ध गांधीवादी, स्वतंत्रता संघर्ष सेनानी तथा लोक स्वराज्य मंच के संस्थापक ठाकुर दास जी बंग का पिछले दिनो करीब पंचान्नवे वर्ष की उम्र मे निधन हो गया। श्री बंग के निधन से उस गांधीवादी पीढी मे कोई बचा नही दिखता जिसने गांधी जी के साथ रहकर स्वतंत्रता संघर्ष मे कोई अग्रणी भूमिका निभाई हो। ठाकुर दास बंग एक ऐसे गांधीवादी थे जो संगठन के ऊपर विचारों को महत्व देते थे। उन्होने गांधी के बाद विनोबा के कार्यो की गुण दोष के आधार पर समीक्षा की। ठाकुरदास बंग एक ऐसे व्यक्ति थे जिन्होने अनुशासन भी कभी नही तोड़ा और सिद्धान्त भी कभी नही छोड़ा। गांधी जी संघर्ष शील रहे और विनोबा जी, गांधी भक्त। बंग जी न गांधी भक्त रहे, न विनोबा भक्त। विनोबा जी ने गांधी की शराब बंदी, गोहत्या बंदी, जैविक खेती, खादी, ग्रामोद्योग, ब्रम्हचर्य आदि को अधूरा कार्य मानकर इसके विस्तार में जीवन भर लगे रहे। बंग साहब राष्ट्रीय स्वराज्य को गांधी का अधूरा कार्य समझकर लोक स्वराज्य को पहला कार्य मानते थे। किन्तु बंग साहब के मन में कभी भी नेतृत्व की इच्छा नही रही। यही कारण है...

Heinous Crime in Delhi

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---------फिर एक बार , अपराध से हार  हाल ही में दिल्ली बलात्कार काण्ड ने फिर भारत को हिला दिया | कायरतापूर्ण इस मनमानी जघन्य हिंसा को भारत कब तक सहता रहेगा यह सवाल आज हर नागरिक पूछ रहा है | विश्वभर में अविकसित राष्ट्रों को छोड़ दें, तो केवल भारत ऐसा देश है जहाँ ऐसे प्रकरणों में लगातार वृद्धि हो रही है | अन्य विकसित या विकासशील देश अपनी धरती पर ऎसी घटनाओं में गुणात्मक कमी कर चुके हैं |  भारत एक लोकतंत्र है | सवाल उठता है कि पुलिस को कौन नियुक्त करता है ? क्यों नियुक्त करता है ? पुलिस को तंत्र नियुक्त करता है | आदर्श स्थिति वह होती है जब पुलिस, 'तंत्र' के माध्यम से 'लोक' को सुरक्षा दे | पर भारत में आज हर नागरिक यह स्पष्ट अनुभव कर रहा है कि पुलिस 'लोक' नियंत्रण के माध्यम से 'तंत्र' को सुरक्षा दे रही है | तभी तो पुलिस तुच्छ मामलों में नागरिकों को नियंत्रित करने में तो तत्परता दिखाती है, (हाल ही का शाहीन फेसबुक मुद्दा) पर जघन्य अपराध रोकने और नागरिकों को सुरक्षा देते वक्त हर बार पूरी तरह विफल हो जाती है | इसके मूल में भारतीय पुलिस की...

याचना नहीं अब रण होगा

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समर शेष है.........  पूछ रहा है जहां चकित हो, जन-जन देख अकाज साठ  वर्ष हो गए, राह में अटका कहाँ स्वराज ? अटका कहाँ स्वराज, बोल ! सत्ता  तू क्या कहती है ? तू रानी बन गयी, वेदना जनता क्यों सहती है ? सबके भाग्य दबा रखे हैं, किसने अपने कर में ? उतरी थी जो विभा, हुई बंदिनी, बता किस घर में ? समर शेष है यह प्रकाश बंदीगृह से छूटेगा  और नहीं तो तुझपर,  पापिनी ! महावज्र टूटेगा  समर शेष है इस स्वराज को सत्य बनाना होगा  जिसका है यह न्यास, उसे त्वरित पहुंचाना होगा  धारा के मग में अनेक पर्वत जो खड़े हुए हैं  गंगा का पथ रोक, इंद्र के गज जो अड़े हुए हैं  कह दो उनसे, झुके अगर तो, जग में यश पायेंगे  अड़े रहे तो, ऐरावत, पत्तों से बह जायेंगे  समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध  जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध  -- www.3kone.blogspot.com

Lok Swaraj Manch Bangalore Office open

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17th Nov 2012, Prashant Bhushan inaugurating Lok Swaraj Manch office at RamJai, #2, Chanakya Street Akkamma Block Dinnur RT Nagar bangalore 560032