Wednesday, December 22, 2010

--------- राहुल गांधी, विकिलीक्स और 
आतंकवाद का सच


सार्वजनिक जीवन अपनाने वालों को सामाजिक विषयों पर स्पष्ट चिंतन रखना होता है | राहुल गांधी अनेक सामाजिक विषयों पर अभी तक मौन हैं | इसीलिए विकिलीक्स  में  जब उनका अमरीकी राजदूत के साथ कथित वार्तालाप भारतीय अखबारों ने उजागर किया तो प्याले में बवंडर आ गया | जुलाई 2009, अर्थात 26/11 के आठ महीने बाद राहुल गांधी से अमरीकी राजदूत ने व्यक्तिगत वार्तालाप में कथित तौर जब यह पूछा की सीमापार से आनेवाली धर्मोन्मादी आतंकवाद के बारे में उनकी क्या राय है, तो राहुल गांधी ने राजदूत से कथित रूप से यह कहा की वे सीमापार आतंकवाद से अधिक भारत के आंतरिक भगवा आतंकवाद से चिंतित हैं | सच क्या है यह तो दोनों पक्ष ही जानें, पर जब देश के प्रायशः भावी नेतृत्व के विचारों के बारे में मीडिया ऎसी रिपोर्ट लिखता है, तब इस विषय की वास्तविकता समझना हम सबके लिए श्रेयस्कर है |


समाज में धर्म के आधार पर चार सम्प्रदाय होते हैं |
1. जो मान्यता एवं आचरण दोनों में कट्टर हैं,
2. जो मान्यता में शांतिप्रिय मगर आचरण से कट्टर होते हैं,
3. जो मान्यता में कट्टर पर आचरण में शांतिप्रिय होते हैं,
4. जो मान्यता तथा आचरण दोनों ही में उदार एवं शांतिप्रिय होते हैं,


नगण्य अपवादों को छोड़ दें तो, वर्तमान में वहाबी विचारधारा से प्रभावित लोग पहली श्रेणी में, सूफियाना एवं ईसाई मतावलंबी तीसरी श्रेणी में, 'हिंदुत्व' के बहुप्रचारित विचारधारा से प्रभावित दूसरी श्रेणी में, तथा सनातन एवं अन्य भारतीय मतावलंबी, चौथी श्रेणी में खड़े दीख रहे हैं |


पहली श्रेणी वाले आतंकवादी होते हैं | दूसरी श्रेणी वाले उग्रपंथी या प्रतिक्रियावादी कहलाते हैं | तीसरी श्रेणी वाले भ्रमित होते हैं, तथा चौथी श्रेणी वाले सज्जन होते हैं | हमें इनके भेद समझते हुए पहली श्रेणी के हौसले को बलपूर्वक तोड़ना होगा | दूसरी श्रेणी के लोगों पर अंकुश लगाना होगा ताकि उनके आचरण को देखकर उनके उकसावे में सामान्य भोले-भाले लोग न आ जाएँ | तीसरी श्रेणी के लोगों को ह्रदय परिवर्तन की ओर प्रोत्साहित करना होगा ताकि वे चौथी श्रेणी वालों के समान आदर सम्मान प्राप्त कर सकें, क्योंकि समाज के अस्सी प्रतिशत लोग इसी चौथी श्रेणी के होते हैं |

Karpuri Thakur

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