Sunday, September 8, 2013

Meaning of being Ganesh

इतिहास गवाह  जब-जब नए विचार का निर्माण होता है, तब-तब  तो उन विचारों के वहन के लिए वाहन भी नए होते हैं । शिव ने बैल चुना, विष्णु ने गरुड़ ढूंढ लिया क्योंकि विचार नए थे, तो वाहन भी नया । 

फिर गणपति सोचने लगे की अब हम कौन सा वाहन पसंद करें? मेरा काम है विद्या और ज्ञान का प्रचार करना । तो जहां भी थोड़ा सा भी अवसर होगा, छोटा सा भी छेद  होगा वहां विद्या और ज्ञान का प्रवेश होना चाहिए । इसीलिए गणेश जी ने चूहे को चुन लिया । 

वेदों में वर्णन है "गणानां त्वा गणपतिं  हवामहे", अर्थात गणसेवक की भूमिका । यानी आनेवाले  समय में नेता नहीं रहेंगें और केवल गण-सेवक यानी समूह-सेवक बनते जायेंगे । अब जो नया  विचार आयेगा वह हरएक मनुष्य के पास पहुंचेगा । सब मिलकर सोचेंगे और सब मिलकर आगे बढ़ेंगे । एक बड़ा आदमी, और वह सबको मार्गदर्शन दे, लोग उसके पीछे चलें, यह पुरानी बात "गणेशत्व" से मेल नहीं खाती ।

"यतेमही स्वराज्ये "- ऋग्वेद में अत्रि ऋषि का मन्त्र है । जो राजनैतिक और संकुचित दायरे में सोचते है, वे स्ट्रेंग्थ (शक्ति) और पावर (सत्ता) का भेद नहीं पहचानते । पावर को ही स्ट्रेंग्थ समझते हैं । पावर अलग है और स्ट्रेंग्थ अलग । दूसरों के गुणों को जबरन ढकने को स्ट्रेंथ कहते हैं, और अपना गुण प्रकट करने का मौक़ा मिलता है तो शक्ति पैदा होती है । 

यही स्वराज हमारा प्राप्य  है ।      

Karpuri Thakur

  भारत रत्न कर्पूरी ठाकुर  का कर्नाटक कनेक्शन (Click here for Kannada Book Details)        कर्पूरी ठाकुर कम से कम दो बार बैंगलोर आये। एक बार...