Sunday, April 3, 2011

Criket Victory

-----------------क्रिकेट विजय का मतलब

भारत ने आखिरकार २८ वर्षों बाद क्रिकेट  विश्व कप जीत ही लिया | करोड़ों लोगों की शुभकामनाएं  तथा टीम के शानदार प्रदर्शन के बदौलत यह संभव हुआ |  कमोबेश यह वही टीम है जो पिछले विश्व कप में पहले ही दौर में बाहर हो गई थी | विशेषता यह की इस विजय अभियान में टीम ने सभी भूतपूर्व विश्व विजेताओं को एक एक कर हराकर खिताब जीता है | 

जीत के बाद  टीम का रवैया टीम के जीत का  सूत्र को दर्शाता  है | फाइनल मैच टीम सचिन तेंदुलकर के खराब प्रदर्शन के बावजूद जीती, फिर भी पूरी टीम ने जीत का श्रेय सचिन  को समर्पित किया | सचिन का फाइनल से पहले  श्रंखला में शानदार प्रदर्शन रहा था, सो वे इस श्रेय को वैध रूप से ले सकते थे | पर उन्होंने जीत का सम्पूर्ण श्रेय टीम को समर्पित किया | इसके विपरीत टीम के कप्तान धोनी ने श्रंखला में टीम चयन से लेकर पिच के गलत आकलन तक का सभी दोष अपने ऊपर लिया, जबकी सब जानते हैं की  चयन या पिच संबंधी सभी निर्णय टीम, कोच आदि सामूहिक रूप से लेते हैं, कप्तान व्यक्तिगत नहीं |

ऐसा अक्सर कम ही होता है की श्रेय दूसरों को दिया जाय और दोष अपने ऊपर लिया जाय | साधारणतः कोई भी समूह -चाहे वह परिवार हो, संघ हो, संस्थाएं हो, प्रतिष्ठान हो, सरकार हो, -में श्रेय लेने की होड़ और दोष मढने की प्रवृत्ति होती है जो उत्तरोत्तर  उस इकाई में कलह या सडन पैदा करती है | भारत की ग्रामीण सभ्यता में सामूहिकता आज भी नैसर्गिक रूप से विद्यमान है, पर शहरों में व्यक्तिवादिता के कारण अब वह विलुप्त होती जा रही है | सामूहिकता में श्रेय देने की प्रवृत्ति का निर्माण होता है, जबकी व्यक्तिवादिता, स्वार्थ को वैधानिक मानने के चलते  दोष मढने की प्रवृत्ति उत्पन्न करती है |  इस परिप्रेक्ष्य में  भारतीय कप्तान का मूलतः ग्रामीण प्रदेश से आना भी एक सशक्त प्रतीक है |

शंकराचार्य का अद्वैत हो, सर्वोदय का  सिद्धांत हो, चाहे भगवान् बुद्ध का मूलमंत्र, "संघम शरणम गच्छामी", यही सिखाता है की अगर किसी इकाई में श्रेय देने की और दोष लेने की प्रवृत्ति निर्मित हो जाए तो वह इकाई स्वाभाविक रूप से  सर्वोत्तम बन जाती है | सभी इतिहासपुरुष इसी सिद्धांत पर चले, चाहे वह ईसा का दोषहीन होने के बावजूद सलीब पर चढ़ना  हो, या चौरी-चौरा के  बाद गांधी द्वारा  उसकी नैतिक जिम्मेदारी लेकर किया गया प्रायश्चित्त हो | 

भारतीय क्रिकेट टीम ने जाने-अनजाने स्वच्छ और सफल समाज रचना का सूत्र पेश कर दिया है | क्रिकेट की लोकप्रियता को देखते हुए, यह सूत्र शनै-शनै समाज में व्यापक रूप से प्रतिष्ठित  होगा ऐसी आशा है | 


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Karpuri Thakur

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