Posts

INVITATION: Public Consultation on Lokswaraj -Draft

https://docs.google.com/file/d/0B4B_FonvHcE0dmlVUFVLTXFWaVU/edit   HINDI @  http://www.kaashindia.com/?dl_id=177 https://docs.google.com/file/d/0B4B_FonvHcE0MmJHSjZEc1VZdlE/edit LOK SWARAJ People’s Manifesto For A New Polity         The entire constitutional structure of India, by omission or commission is a fusion of exploitative conspiracy against the Polite, the Poor, the Proletariat, and the Common citizen hatched by Criminals, Capitalists, Intellectuals and Politicians. We too are either overt or covert facilitators in fortifying this status-quo. A cerebral deliberation is essential to break this status-quo.         ‘Society’ is supreme, ‘nation’ its organ, ‘state’ an aid and ‘religion’ its guide. The root of all contemporary problems is the intense competition by The Nation, The State and Religion to assert themselves and marginalize The Society. A Systemic overhau...

INDIA.....................the road ahead

भारत ............... अब आगे की राह       पिछले कई महीनों से भारत में परिवर्तन की एक उत्कट लालसा दिखाई दे रही है | कल तक जो सज्जन अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, अन्याय, दूषित लोकतंत्र आदि को नियति मान नेपथ्य में चले गए थे, अचानक वो लामबंद होकर इनके विरुद्ध खुलकर सामने आने लगे हैं | साथ ही इस अव्यवस्था, भ्रष्टाचार, अन्याय, दूषित लोकतंत्र को संचालित करनेवाले भारत के प्रायः सभी राजनीतिज्ञ भी यथास्थिति को बनाए रखने हेतु सज्जनों के खिलाफ आग उगलने लगे हैं | यह शुभ संकेत है | अच्छा है । पहले "लोक" एवं "तंत्र" का स्पष्ट ध्रुवीकरण होगा तभी तो निर्णायक युद्ध संभव होगा | इस ध्रुवीकरण का श्रेय सर्वप्रथम भारत के लोक, उसके बाद टीम अन्ना, बाबा रामदेव, लोकस्वराज्य मंच सहित समूची सज्जन शक्ति को जाता है |       सवाल है कि अब आगे की राह क्या हो ? कुछ विकल्प हैं - 1 ) संसदीय लोकतंत्र को पूरी तरह ध्वस्त कर देना | 2 ) संसदीय लोकतंत्र को परिष्कृत करना | 3 ) सत्ता परिवर्तन द्वारा वर्तमान संसद को स्वयं सुधरने का एक और मौक़ा देना | तीसरा विकल्प अब भारत क...

POVERTY LINE....a fallacy

-----गरीबी रेखा का छलावा  http://www.kaashindia.com/?m= 201204      गरीबी रेखा एक ऐसा फल है जिसे निचोड निचोड कर रस पीना सरकार का भी उद्देश्य रहा है और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का भी । राजनेता जब इसमे से रस निचोडता है तो वोट रूपी  रस निकलता है और सलाहकार समिति निचोडती है तो  वेतन भत्ते रूपी रस।  लेखक और मीडिया कर्मी भी कुछ न कुछ निचोडकर इसका उपयोग करते ही रहते है। गरीबी रेखा संबंधी जो भी  आकडे आप सुनते है वे सब सही है चाहे  वे किसी के भी द्वारा क्यो न कहे जावे क्योकि सबकी अपनी अपनी रेखा है और अपनी रेखा  के मुताबिक आंकडे। सवाल आंकडो का नही है। सवाल है किसी मान्य रेखा का । भारत की न्यायपालिका के लोग भी अपना काम छोडकर इस रेखा के पीछे इस लिये लगे रहते है क्योकि उन्हे कुछ सस्ती लोकप्रियता चाहिये ही। वे भी तो बेचारे मनुष्य  ही है।            जो भी विपक्ष मे है वह मानता है कि कुछ प्रतिशत अमीरों को छोडकर बाकी सब लोग गरीब है। जो सत्ता मे है वे मानते है कि कुछ प्रतिशत गरीबो को छोडकर बाकी सब अमीर है। अ...

Mumbai terror attack 13/7

मुम्बई बम विस्फोट की सीख  - माया मिली न राम       एक बार फिर आतंकवाद ने मुम्बई को लपेट लिया | 13 जुलाई की तिकड़ी विस्फोटों ने फिर से साबित कर दिया कि भारत आतंकवादियों के लिए साफ्ट टार्गेट है | हमले के तुरंत बाद राजनेताओं के बयान भविष्य के लिए स्पष्ट संकेत हैं | केन्द्रीय गृहमंत्री ने माना कि हमलों की कोई खुफिया  पूर्वसूचना नहीं थी | कांग्रेस के युवराज महासचिव  ने कहा कि हर हमले से जनता को बचाना सरकार के हाथ की बात नहीं है | गुजरात के मुख्यमंत्री, भाजपा के करिश्माई नेता ने तो यहाँ तक कह दिया कि यह भविष्य के बड़े हमलों का रिहर्सल मात्र है | निरीह जनता बेचारी पीड़ा से कराह रही है और राज्यसत्ता ने उन्हें रामभरोसे छोड़ दिया है |       सवाल है कि जब देश के दोनों बड़े राजनैतिक दल जनता को आश्वस्त करने की बजाय अपने प्रारब्ध पर छोड़ रहे हैं, तो शासन व्यवस्था की आवश्यकता ही क्या है ? एक तरफ तो शासन  यह कहे कि गिनती भर आतंवादियों को नियंत्रित करना उसके बस का नहीं, अगले ही पल वही शासन 120  करोड...

RAM Charcha : मानना और जानना

Image
सीय राम मय सब जग जानि |  करउं प्रनाम जोरि जुग पानी || Listen to speech     रा मचंद्र जी को मैं भगवान् मानता हूँ, पर यह आवश्यक नहीं मानता की सब उन्हें भगवान् मानें | ईश्वर ने राम बनके अवतार लिया या राम नामक मनुष्य अपने चरित्र से ईश्वरीय बन गया इस विषय में भी मैं नहीं पड़ता | राम दशरथ नंदन थे या दशावतार में एक, मैं इसमें भी नहीं पड़ना चाहता | राम पौराणिक पुरुष रहें हो, चाहे ऐतिहासिक पुरुष रहे हों पर निश्चित रूप से वे मर्यादा पुरुषोत्तम थे | इसीलिए तो हजारों वर्षों से राम करोड़ों लोगों के दिल में रमे हैं, और उनसे हम सब का किसी न किसी रूप से संप्रत्य जुडा है यह निर्विवाद है |     किसी विषय को मानना आसान है, पर जानने की प्रक्रिया शुरू होते है की जानी हुई चीज को दूसरों को भी समझाने की क्षमता विकसित करनी पड़ती है | राम को मानना और जानना भिन्न-भिन्न चीजें हैं | भगवान् को हम मानते हैं, मित्र को हम जानते हैं | तो मानना आसान है, और जानने की प्रक्रिया शुरू होते है की जानी हुई चीज को हम दूसरों को भी समझा सकें, ऎसी स्थिति आती है | पर यहाँ अनुभूति की व्याख्या करना कठिन प्रतीत ...