Meaning of being Ganesh
इतिहास गवाह जब-जब नए विचार का निर्माण होता है, तब-तब तो उन विचारों के वहन के लिए वाहन भी नए होते हैं । शिव ने बैल चुना, विष्णु ने गरुड़ ढूंढ लिया क्योंकि विचार नए थे, तो वाहन भी नया ।
फिर गणपति सोचने लगे की अब हम कौन सा वाहन पसंद करें? मेरा काम है विद्या और ज्ञान का प्रचार करना । तो जहां भी थोड़ा सा भी अवसर होगा, छोटा सा भी छेद होगा वहां विद्या और ज्ञान का प्रवेश होना चाहिए । इसीलिए गणेश जी ने चूहे को चुन लिया ।
वेदों में वर्णन है "गणानां त्वा गणपतिं हवामहे", अर्थात गणसेवक की भूमिका । यानी आनेवाले समय में नेता नहीं रहेंगें और केवल गण-सेवक यानी समूह-सेवक बनते जायेंगे । अब जो नया विचार आयेगा वह हरएक मनुष्य के पास पहुंचेगा । सब मिलकर सोचेंगे और सब मिलकर आगे बढ़ेंगे । एक बड़ा आदमी, और वह सबको मार्गदर्शन दे, लोग उसके पीछे चलें, यह पुरानी बात "गणेशत्व" से मेल नहीं खाती ।
"यतेमही स्वराज्ये "- ऋग्वेद में अत्रि ऋषि का मन्त्र है । जो राजनैतिक और संकुचित दायरे में सोचते है, वे स्ट्रेंग्थ (शक्ति) और पावर (सत्ता) का भेद नहीं पहचानते । पावर को ही स्ट्रेंग्थ समझते हैं । पावर अलग है और स्ट्रेंग्थ अलग । दूसरों के गुणों को जबरन ढकने को स्ट्रेंथ कहते हैं, और अपना गुण प्रकट करने का मौक़ा मिलता है तो शक्ति पैदा होती है ।
यही स्वराज हमारा प्राप्य है ।
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