POVERTY LINE....a fallacy
-----गरीबी रेखा का छलावा http://www.kaashindia.com/?m= 201204 गरीबी रेखा एक ऐसा फल है जिसे निचोड निचोड कर रस पीना सरकार का भी उद्देश्य रहा है और राष्ट्रीय सलाहकार परिषद् का भी । राजनेता जब इसमे से रस निचोडता है तो वोट रूपी रस निकलता है और सलाहकार समिति निचोडती है तो वेतन भत्ते रूपी रस। लेखक और मीडिया कर्मी भी कुछ न कुछ निचोडकर इसका उपयोग करते ही रहते है। गरीबी रेखा संबंधी जो भी आकडे आप सुनते है वे सब सही है चाहे वे किसी के भी द्वारा क्यो न कहे जावे क्योकि सबकी अपनी अपनी रेखा है और अपनी रेखा के मुताबिक आंकडे। सवाल आंकडो का नही है। सवाल है किसी मान्य रेखा का । भारत की न्यायपालिका के लोग भी अपना काम छोडकर इस रेखा के पीछे इस लिये लगे रहते है क्योकि उन्हे कुछ सस्ती लोकप्रियता चाहिये ही। वे भी तो बेचारे मनुष्य ही है। जो भी विपक्ष मे है वह मानता है कि कुछ प्रतिशत अमीरों को छोडकर बाकी सब लोग गरीब है। जो सत्ता मे है वे मानते है कि कुछ प्रतिशत गरीबो को छोडकर बाकी सब अमीर है। अ...