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Showing posts from March, 2012

Parliament Censure & Team Anna

-------------------मोर-मोर मौसेरे भाई        भारतीय संसद   ने एकमत से बिना नाम लिए टीम अन्ना के विरुद्ध  चेतावनी प्रस्ताव मंजूर किया है | हाल ही में एक सार्वजनिक सभा  में टीम अन्ना ने लोकपाल बिल मामले में सांसदों के आचरण को चोर की दाढी में .... कहा तो श्रोताओं ने ...... तिनका का नारा दिया | हमारे सांसदों  को यह नागवार गुजरा कि उनके बीच 150 से अधिक अपराधियों को चोर कहा जाय | प्रश्न है कि मोर  को मोर  नहीं तो क्या मुर्गा कहा जाय ? यह भी एक चिंतन का विषय है कि 540 संख्या वाले सदन को 150 संख्या वाले सांसद कैसे संचालित कर रहे हैं, वरना जो करीब 400  सांसद  बेदाग़ हैं,  वे दागियों के पक्ष में कैसे हो गए ?  गाय को पूँछ हिलाते हुए तो  देखा है  पर यहाँ तो पूँछ ही गाय को हिला रही है | संसद के विभिन्न राजनैतिक दल एक दूसरे को चोर उचक्का कहें तो क्षम्य, पर लोक कुछ कहे तो अवमानना, हमारा बच्चा मुन्ना, आपका बच्चा जनसंख्या, यह समझ से परे है |      ऐसे चरित्र वा...

5 state election results

----- 5 राज्यों  के विधान सभा नतीजों  का निहित                  मनुष्य की आकांक्षा एवं उसे पूरी करने के हेतुओं में अंतर रहता है | मनुष्य के स्वभाव में ही स्वतंत्रता है | उस स्वतंत्रता की राजनैतिक/सामाजिक व्यवस्था ही स्वराज्य है | वेदवाक्य भी है, "यतीमहे स्वराज्ये" | स्वराज्य का मार्ग लोकतंत्र से होकर गुजरता है | स्फूर्त लोकतंत्र स्वराज्य की ओर झुका होता है और मंद लोकतंत्र तानाशाही की ओर | भारत का नागरिक भी स्वराज्य चाहता है पर वर्तमान भारतीय संविधान लोकस्वराज्य का दस्तावेज न होकर लोकतंत्र का घोषणापत्र मात्र है | इसमें केंद्र  के बाद राज्य को ही अंतिम इकाई मान ली गई है | स्थानीय निकायों, ग्राम सभा, परिवार आदि को स्वायत्त अधिकार नहीं हैं |       तो स्वाभाविक ही है कि चुनावों में जनमानस अपनी स्वराज्य की इच्छा वर्तमान में उपलब्ध सबसे छोटी इकाई के प्रति ही जाहिर कर सकता है | क्योंकि शासित-शासक की दूरी जितनी कम होती है, व्यवस्था उतनी ही अधिक सुचारू । शासित-शासक की दूरी घटाने के मनुष्य की स्वा...