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Showing posts from April, 2011

Revolution

------------------- क्रान्ति के पुरोधा यह भ्रान्ति है कि क्रांतियाँ भौतिक होती हैं | क्रांतियाँ असल में मनुष्य के दिमाग में होती हैं, भले ही उसकी निष्पत्ति व्यापक रूप से भौतिक दृष्टिगोचर हो | जो क्रांतियों को गहराई से नहीं समझते  वे क्रान्ति के बाद की परिस्थिति देखकर उस क्रान्ति का आकलन करते हैं | अगर क्रान्ति के बाद का समाज पहले से बेहतर प्रतीत होता है तो क्रान्ति की शान में कसीदे पढ़े जाते हैं | इसके  विपरीत अगर क्रान्ति के बाद का समाज पहले से बदतर प्रतीत होता है तो क्रान्ति को टायं-टायं फिस्स मान लिया जाता है | बीसवीं सदी के पूर्वार्ध में रूस में भी साम्यवाद-क्रान्ति हुई और जार शासन ख़त्म हुआ | बीसवीं सदी के मध्य  में उस क्रान्ति को मानव इतिहास की सफलतम क्रांतियों में गिना जाता था | और इक्कीसवीं सदी के  आते आते वही क्रान्ति पूर्णतः असफल सिद्ध हुई | गांधी की अहिंसक क्रान्ति भी बीसवीं सदी के मध्य में सफल मानी जाती थी | आज इक्कीसवीं सदी के दूसरे दशक के आते-आते देश की स्थिति देखकर अधिकाँश लोग स्वतन्त्र भारत की दशा से परेशान हैं | आचार्य विनोबा भावे की भू...

Anti Corruption

------------अन्ना हजारे और भ्रष्टाचार उन्मूलन अन्ना हजारे आज भ्रष्टाचार के विरुद्ध सशक्त प्रतीक के रूप में उभरे हैं | उनके जीवन संघर्ष से परिचित लोग यह जानते हैं की उनका पहला भ्रष्टाचार विरोधी संघर्ष 1975 में एक वन अधिकारी के विरुद्ध प्रारम्भ हुआ था जो आज 35  वर्ष बाद प्रधानमंत्री तक पहुँच गया | (लोकपाल विधेयक प्रधानमंत्री तक को भ्रष्टाचार विरोधी क़ानून के अंतर्गत लाने का प्रावधान रखता है ) अन्ना हजारे अत्यंत सरल, सहज, निश्छल, एवं सादे व्यक्ति हैं | इन वर्षों में महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में सिद्धि ग्राम को उन्होंने स्वावलंबी बनाकर एक आदर्श ग्राम का प्रारूप भी दिया है | उनका आन्दोलन भी ऐसा ही पाक साफ़ है | शासन के आदेशों के विरुद्ध समय-समय पर उठती उनकी आवाज के पीछे भी उनकी सामाजिक चेतना ही प्रमुख है | शासन और अनशनकारियों के बीच सैद्धांतिक रूप से किसी बात पर मतभेद नहीं है  क्योंकि सरकार ने अगले सत्र में विधेयक लाने का संकल्प ले लिया है | टसमटस इस बात पर है की आन्दोलनकारी विधेयक  प्रारूप समिति में सिविल सोसाईटी अर्थात समाज के आधे प्रतिनिधि चाहते हैं, पर सरकार इस...

Criket Victory

-----------------क्रिकेट विजय का मतलब भारत ने आखिरकार २८ वर्षों बाद क्रिकेट  विश्व कप जीत ही लिया | करोड़ों लोगों की शुभकामनाएं  तथा टीम के शानदार प्रदर्शन के बदौलत यह संभव हुआ |  कमोबेश यह वही टीम है जो पिछले विश्व कप में पहले ही दौर में बाहर हो गई थी | विशेषता यह की इस विजय अभियान में टीम ने सभी भूतपूर्व विश्व विजेताओं को एक एक कर हराकर खिताब जीता है |  जीत के बाद  टीम का रवैया टीम के जीत का  सूत्र को दर्शाता  है | फाइनल मैच टीम सचिन तेंदुलकर के खराब प्रदर्शन के बावजूद जीती, फिर भी पूरी टीम ने जीत का श्रेय सचिन  को समर्पित किया | सचिन का फाइनल से पहले  श्रंखला में शानदार प्रदर्शन रहा था, सो वे इस श्रेय को वैध रूप से ले सकते थे | पर उन्होंने जीत का सम्पूर्ण श्रेय टीम को समर्पित किया | इसके विपरीत टीम के कप्तान धोनी ने श्रंखला में टीम चयन से लेकर पिच के गलत आकलन तक का सभी दोष अपने ऊपर लिया, जबकी सब जानते हैं की  चयन या पिच संबंधी सभी निर्णय टीम, कोच आदि सामूहिक रूप से लेते हैं, कप्तान व्यक्तिगत नहीं | ऐसा अक्सर कम ही हो...