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Dashahara

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      दशहरा  महिषासुर या रावण के दमन का उत्सव नहीं है । यह बुरी शक्तियों की अच्छी शक्तियों का विजय का सूचक है । दशहरा अर्थात हमारे अंदर स्थित दस विकारों का दमन ।      जब व्यक्ति में बुद्धि और भावना का संतुलन गडबड होकर किसी एक दिशा में में बढ़ने लगता है तब समाज पर इसका प्रभाव पड़ना निश्चित है । बुद्धि-प्रधान व्यक्ति समाज-संचालक और भावना प्रधान व्यक्ति संचालित  में आ जाते हैं । बुद्धि-प्रधान लोग प्रचार का सहारा लेकर समाज में असत्य को सत्य तथा सत्य को असत्य के सामान सिद्ध कर देते हैं । भावना-प्रधान लोग इस प्रचार से प्रभावित हो जाते है तथा समाज में नई एवं गलत परिभाषाएं स्थापित हो जाती हैं, जिन्हें चुनौती देना कठिन होता है ।       ऐसे कालखण्ड में निष्कर्ष निकालने का आधार विचार मंथन का शून्य हो जाता है तथा प्रचार से ही निष्कर्ष निकालने की गलत परम्परा शुरू हो जाती है । देवी दुर्गा तथा श्रीराम ने यही कठिन चुनौती स्वीकार की तथा तत्कालीन सर्वोच्च शक्तिशाली दानव, जिनके सामने देवता भी नतमस्...