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Delhi Terrorism

- --------बार बार, आतंक से हार       7 सितम्बर को दिल्ली उच्च न्यायालय में आतंकी हमले ने फिर भारत को हिला दिया | कायरतापूर्ण इस मनमानी हिंसा को भारत कब तक सहता रहेगा यह सवाल आज हर नागरिक पूछ रहा है | विश्वभर में अविकसित राष्ट्रों को छोड़ दें, तो केवल भारत ऐसा देश है जहाँ ऐसे हमले लगातार होते आ रहें हैं | अन्य विकसित या विकासशील देश अपनी धरती पर आतंकवादी  घटनाओं में गुणात्मक कमी कर चुके हैं |       भारत एक लोकतंत्र है | सवाल उठता है कि पुलिस को कौन नियुक्त करता है ? क्यों नियुक्त करता है ? पुलिस को तंत्र नियुक्त करता है | आदर्श स्थिति वह होती है जब पुलिस, 'तंत्र' की सहायता से 'लोक' को सुरक्षा दे | पर भारत में आज हर नागरिक यह स्पष्ट अनुभव कर रहा है कि पुलिस 'लोक' नियंत्रण के माध्यम से 'तंत्र' को सुरक्षा दे रही है | तभी तो पुलिस बाबा रामदेव, अन्ना हजारे प्रकरण में तो 'तंत्र' की सुरक्षा हेतु नागरिकों को नियंत्रित करने में तो तत्परता दिखाती है, पर आतंक रोकने और  नागरिकों को सुरक्षा देते वक्त हर बार पूरी तरह विफल हो जाती है |   ...