Acharya Tulsi's Anuvrat Magazine @70 Article
दक्षिण का ऋषितर्पण ------ -सिद्धार्थ शर्मा, बेंगळूरु आदिकाल से ही मानव मन में एक द्वंद्व चल रहा है। समाज निर्माण की भूमिका क्या हो ? दो विकल्प सामने आये -एक भौतिक विकास का, दूसरा आध्यात्मिक उन्नति का। कुछ संस्कृतियों ने भौतिक मार्ग चुना, जिसमें भी दो रास्ते थे -सामाजिक उन्नति या व्यक्तिगत उन्नति। सामाजिक उन्नति के पक्षधरों का मानना था कि समाज अगर उन्नति करता है, तो व्यक्ति की उन्नति उसमें स्व-निहित होगी। इस विचारधारा से साम्यवाद पनपा -जिसमें ध्येय की प्राप्ति के लिए हिंसा मान्य थी। भौतिक उत्कर्ष के लिए प्रयासरत दूसरी जमात ने यह सिद्धांत प्रतिपादित किया की समाज चूंकि व्यक्तियों का ही समूह है, अतः व्यक्ति के विकास से प्रकारांतर में समाज का विकास हो...