SOLUTION
--भारत समेत वैश्विक समस्याओं का समाधान व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक भी होते है और निंयत्रक भी। व्यक्तियो से ही समाज का अस्तित्व होता है। बिना व्यक्तियो के जुडे समाज बनता ही नही। समाज के बिना भी व्यक्ति का जीना कठिन हो जाता है क्योकि सुचारू जीवन के लिये जिस व्यवस्था की आवश्यकता होती है वह समाज ही दे सकता है, कोई और नही। व्यक्ति दो प्रकार के होते है 1. वे जो स्वतः ठीक ठीक आचरण करते है और दूसरो को ठीक ठीक आचरण करने मे सहायता करते है। ऐसे व्यक्तियो को ही सामाजिक कहा जाता है 2. दूसरे वे होते है जो लगातार दूसरों का शोषण भी करते रहते है और अत्याचार भी। ऐसे व्यक्तियो को ही समाज विरोधी कहा जाता है। कुछ लोग इन दोनो ही श्रेणियों मे नही होते। ये न तो स्वयं अपराध करने के अभ्यस्त होते है न ही समाज की मदद करते है। कभी कभार कोई साधारण सा अपराध कर लेने या दूसरो की सहायता कर देने वाले व्यक्तियों को असामाजिक माना जाता है। इन्हे अच्छा व्यक्ति न मानते हुये भी समाज विरोधी न होने के कारण समाज का ही अंग माना जाता है। यदि हम भारत स्थित समाज का आकलन ...