SC Verdict on Sanctions
भ्रष्टाचार पर न्यायपालिका का अंकुश 31 जनवरी को भारत के उच्चतम न्यायालय की द्वि-खंडपीठ ने सुब्रह्मण्य स्वामी की एक याचिका पर महत्वपूर्ण फैसला देते हुए कहा कि -भारत के किसी भी नागरिक द्वारा सार्वजनिक सेवक पर भ्रष्टाचार के अभियोजन की स्वीकृति सरकार को तीन महीने के भीतर शिकायतकर्ता द्वारा प्रदत्त प्रथम दृष्टया प्रमाण के आधार पर देनी ही होगी अन्यथा वह 'दी गई' ऐसा माना जाएगा | - मामला 2008 नवम्बर का है जब स्वामी ने प्रधानमंत्री कार्यालय में तत्कालीन सूचना मंत्री के खिलाफ टू-जी स्पेक्ट्रम आबंटन में भ्रष्टाचार में लिप्त होने का प्रमाण पेश करते हुए उनके खिलाफ मुकदमा दायर करने की स्वीकृति मांगी | भारत के वर्तमान भ्रष्टाचार निरोध अधिनियम क़ानून की धारा 19 के तहत किसी भी सरकारी व्यक्ति के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला दर्ज करने की पूर्व स्वीकृति सरकार से प्राप्त करना आवश्यक है | प्रधानमंत्री कार्यालय से अभियोजन की स्वीकृति में देरी होती देख स्वामी ने याचिका दायर की जिसका उपरोक्त फैसला आया है | ...