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Showing posts from August, 2024

Crime Prevention

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  बढ़ रहे बलात्कार-जिम्मेदार कौन ? https://epaper.dakshinbharat.com/view/1516/dakshin-bharat-karnataka/6#              को लकाता हो या कल्याण हो या बेंगलूरु तक, महिलाओं पर यौन उत्पीड़न की घटनाएं बेतहाशा बढ़ रही हैं । कभी चलती कार में, कहीं अस्पताल में, कहीं स्कूल में, कभी पहलवानों के साथ -लगातार ऐसी घटनाएं बढ़ ही रही हैं । चाहे 6 वर्ष की शहरी अबोध कन्या हो या अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ग्रामीण महिला खिलाड़ी, इन सब के साथ क्रूरतापूर्ण दुष्कर्म की घटनाएँ भारत सहित विश्वभर में खबर बन रही है।       इतनी की, बड़े बड़े राजनेता भी कह रहे हैं की समाज को आत्ममंथन की जरूरत है । ये लोग यह भी कह रहे हैं की सरकार ने अपराधों से और प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानून को मजबूत बनाने के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया है । पर दूसरी तरफ सर्वोच्च अदालत ने तो आज ये कह दिया की महिला सुरक्षा सुनिश्चित करना अब किसी सरकार से संभव नहीं हो रहा है, तो इसीलिए न्यायपालिका ने स्वयं डाक्टरों की सुरक्षा हेतु एक राष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स बना डाला।         मीडिया में चल रही लगातार बहस के दौरान भी भारत के बुद्धिजीवी कुछ ऐसी ही बातें

Independence Day 2024

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  स्वतन्त्र भारत में तंत्र लोक पर हावी कैसे ?  - सिद्धार्थ शर्मा   https://www.satyahindi.com/opinion/independence-day-and-the-people-of-india-141131.html      वर्तमान काल बड़ा रोमांचक है | जब चारों ओर विरोधाभास प्रतीत होने लगें तो ऐसा ही होता है | लोकतंत्र में भी ऐसा ही होता है जब आर्थिक सत्ता विकेन्द्रित हो किन्तु तंत्र की सता विकेन्द्रित नहीं होती | ऎसी स्थिति में उसके कुछ स्वाभाविक दुष्परिणाम होते है, जैसा आज के भारत में है | जब समाज को आर्थिक आजादी तो मिले पर राजनैतिक गुलामी बनी रहे तब पूँजी राज्यशक्ति के साथ भ्रष्ट समझौते कर अपनी शक्ति बढ़ा लेती है | साधारण नियम होता है कि केवल श्रम, मनुष्य को श्रमिक तथा केवल पूँजी व्यक्ति को वणिक बनाती है | अगर वणिक श्रम को खरीद ले तो वही उद्योगपति बन जाता है और अगर वो बुद्धि भी खरीद ले तो पूरी सत्ता ही हाथ लग जाती है | पूँजी+श्रम+बुद्धि = सत्ता |      भारत एक लोकतंत्र है | भारत के संविधान की उद्देशिका का प्रारम्भ ही "हम भारत के लोग" से होता है | 1946 से 1949 तक चली संविधान सभा ने भी इस बात पर जोर दिया था | उनके अनुसार संविध

Bangladesh PM Flees

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बांग्लादेश  में    हसीन दंभ भंग                                              प रिभाषा यदि गलत हो तो निष्कर्ष गलत ही निकलते हैं। बांग्लादेश में लोकतंत्र है। वहां की प्रधानमंत्री देश छोड के भाग गईं। वो प्रधानमंत्री जिसे मात्र छः महीने पहले चुनाव में वहां का चार सौ पार, यानी 224/350 सीटें मिली थीं। इतने कम समय में ऐसा क्या हुआ कि बम्पर बहुमत से जीती प्रधानमंत्री को भगोड़ा बनने की नौबत आ गई ?       हुआ ये कि उन्होंने और उनकी अवामी लीग पार्टी ने लोकतंत्र की परिभाषा गलत समझ ली। लोक तंत्र का अर्थ होता है लोक का तंत्र। अवामी लीग ने समझ लिया लोक के लिए तंत्र।       द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व भर के कई देशों में व्यवस्था परिवर्तन आया। रूस आदि देशों ने साम्यवाद अपनाया, चीन आदि देशों ने तानाशाही अपनाई, युरोप, भारतीय उपमहाद्वीप आदि ने लोकतंत्र अपनाया।       मगर लोकतंत्र दो प्रकार का होता है। एक, लोकतांत्रिक शासन पद्धति, दूसरी, लोकतांत्रिक जीवन पद्धति। युरोप, जापान आदि ने लोकतांत्रिक जीवन पद्धति मॉडल की व्यवस्था अपनाई तो भारतीय उपमहाद्वीप के देशों ने लोकतांत्रिक शासन पद्धति को अंगीकार किया।