Posts

Showing posts from 2012

Heinous Crime in Delhi

Image
---------फिर एक बार , अपराध से हार  हाल ही में दिल्ली बलात्कार काण्ड ने फिर भारत को हिला दिया | कायरतापूर्ण इस मनमानी जघन्य हिंसा को भारत कब तक सहता रहेगा यह सवाल आज हर नागरिक पूछ रहा है | विश्वभर में अविकसित राष्ट्रों को छोड़ दें, तो केवल भारत ऐसा देश है जहाँ ऐसे प्रकरणों में लगातार वृद्धि हो रही है | अन्य विकसित या विकासशील देश अपनी धरती पर ऎसी घटनाओं में गुणात्मक कमी कर चुके हैं |  भारत एक लोकतंत्र है | सवाल उठता है कि पुलिस को कौन नियुक्त करता है ? क्यों नियुक्त करता है ? पुलिस को तंत्र नियुक्त करता है | आदर्श स्थिति वह होती है जब पुलिस, 'तंत्र' के माध्यम से 'लोक' को सुरक्षा दे | पर भारत में आज हर नागरिक यह स्पष्ट अनुभव कर रहा है कि पुलिस 'लोक' नियंत्रण के माध्यम से 'तंत्र' को सुरक्षा दे रही है | तभी तो पुलिस तुच्छ मामलों में नागरिकों को नियंत्रित करने में तो तत्परता दिखाती है, (हाल ही का शाहीन फेसबुक मुद्दा) पर जघन्य अपराध रोकने और नागरिकों को सुरक्षा देते वक्त हर बार पूरी तरह विफल हो जाती है | इसके मूल में भारतीय पुलिस की

याचना नहीं अब रण होगा

Image
समर शेष है.........  पूछ रहा है जहां चकित हो, जन-जन देख अकाज साठ  वर्ष हो गए, राह में अटका कहाँ स्वराज ? अटका कहाँ स्वराज, बोल ! सत्ता  तू क्या कहती है ? तू रानी बन गयी, वेदना जनता क्यों सहती है ? सबके भाग्य दबा रखे हैं, किसने अपने कर में ? उतरी थी जो विभा, हुई बंदिनी, बता किस घर में ? समर शेष है यह प्रकाश बंदीगृह से छूटेगा  और नहीं तो तुझपर,  पापिनी ! महावज्र टूटेगा  समर शेष है इस स्वराज को सत्य बनाना होगा  जिसका है यह न्यास, उसे त्वरित पहुंचाना होगा  धारा के मग में अनेक पर्वत जो खड़े हुए हैं  गंगा का पथ रोक, इंद्र के गज जो अड़े हुए हैं  कह दो उनसे, झुके अगर तो, जग में यश पायेंगे  अड़े रहे तो, ऐरावत, पत्तों से बह जायेंगे  समर शेष है नहीं पाप का भागी केवल व्याध  जो तटस्थ है समय लिखेगा उनका भी अपराध  -- www.3kone.blogspot.com

Lok Swaraj Manch Bangalore Office open

Image
17th Nov 2012, Prashant Bhushan inaugurating Lok Swaraj Manch office at RamJai, #2, Chanakya Street Akkamma Block Dinnur RT Nagar bangalore 560032

LOK SWARAJ MANCH yatra nov 2012

2014 में किसका राज ? ..... . लोक स्वराज ! लोक स्वराज !!      वर्तमान काल की मांग है कि  राजनीति पर समाज हावी हो  और  इसके लिए भारत  एक नए राजनीतिक दर्शन हेतु तैयार है । हम राज्य पर समाज की संप्रभुता  स्थापित करने की तैयारी में जुटे हैं ।                                                             भावी भारत का प्रस्तावित संविधान  https://docs.google.com/file/d/0B4TuEWmc6yjgUWloenlIMFA5a2c/edit लोक संसद  https://docs.google.com/file/d/0B4TuEWmc6yjgS0lkdjhUSmpmOUk/edit   लोक स्वराज मंच  द्वारा   संपर्क यात्रा…!            पिछले कुछ महीनों की परिस्थितियों से स्पष्ट है की वर्तमान भारत में "लोक" "तंत्र" पर संप्रभुता स्थापित करने हेतु कटिबद्ध है । राजनीति पर समाज के अंकुश की इच्छा अब उत्तरोत्तर बलवती हो रही है । इस जनजागरण का श्रेय भारतीय समाज को तो जाता ही है, साथ-साथ समूची राजनैतिक व्यवस्था की बंदरबांट वृत्ति के खुलासों ने भी इस जन-जागरण को पुष्ट ही किया है ।        अब भारत की जनता "सत्ता परिवर्तन" एवं "व्यवस्था परिव

ANNA HAZARE uncensored sep 2 2012

Image
September 2, 2012 CLICK BELOW Click Below http://www.facebook.com/media/set/?set=a.391490777554514.77203.100000807857398&type=3 http://www.youtube.com/watch?v=ErEIpChKyqI&feature=bf_next&list=PLiN7YZXz4nOdjE2aiEBDToCMim41vda3F

Anna & Politics

-------------- अन्ना चले राजनीति की राह  http://www.kaashindia.com/?p=595      अन्ना हजारे ने तीन अगस्त को जंतर मंतर से राजनीतिक पहल की घोषणा कर दी। इस घोषणा पर भले ही राजनीतिक दलों, समर्थकों, आलोचकों और शुभचिंतकों द्वारा मिश्रित प्रतिक्रिया दी जा रही हो लेकिन अन्ना हजारे और उनकी टीम की यह घोषणा राजनीतिक दल बनने की घोषणा भर नहीं है। यह जनता द्वारा सामाजिक आपातकाल की घोषणा है। ऐसा सामाजिक आपातकाल जिसमें जनता अब राजनीतिक शक्तियां अपने हाथ में लेने के लिए आगे बढ़ेगी। मै मानता हुं कि यह सामाजिक आपातकाल सफल हो सकता है और राजनीतिक दलों को सबक भी मिल सकता है बशर्ते टीम अन्ना कुछ सावधानियां बरतते हुए आगे कदम बढ़ाए।      जब टीम अन्ना भ्रष्टाचार नियंत्रण को लक्ष्य मानकर लोकपाल की लडाई लड रही थी तब भी हम स्पष्ट कर रहे थे की भ्रष्टाचार भारत की प्रमुख समस्याओ का कारण नहीं है बल्कि वह तो सत्ता केन्द्रित शासन व्यवस्था का परिणाम मात्र है। संघर्ष कारणों के समाधान पर होना चाहिये, परिणामो के समाधान के लिये नहीं। टीम अन्ना इस संघर्ष देश को प्याज की परत परत निकालने जैसे दिखाना चाहती

SOLUTION

--भारत समेत वैश्विक  समस्याओं का समाधान      व्यक्ति और समाज एक दूसरे के पूरक भी होते है और निंयत्रक भी। व्यक्तियो से ही समाज का अस्तित्व होता है। बिना व्यक्तियो के जुडे समाज बनता ही नही। समाज के बिना भी व्यक्ति का जीना कठिन हो जाता है क्योकि सुचारू जीवन के लिये जिस व्यवस्था की आवश्यकता होती है वह समाज ही दे सकता है, कोई और नही। व्यक्ति दो प्रकार के होते है 1. वे जो स्वतः ठीक ठीक आचरण करते है और दूसरो को ठीक ठीक आचरण करने मे सहायता करते है। ऐसे व्यक्तियो को ही सामाजिक कहा जाता है 2. दूसरे वे होते है जो लगातार दूसरों  का शोषण भी करते रहते है और अत्याचार भी। ऐसे व्यक्तियो को ही समाज विरोधी कहा जाता है। कुछ लोग इन दोनो ही श्रेणियों  मे नही होते। ये न तो स्वयं अपराध करने के अभ्यस्त होते है न ही समाज की मदद करते है। कभी कभार कोई साधारण सा अपराध कर लेने या दूसरो की सहायता कर देने वाले व्यक्तियों को असामाजिक  माना जाता है। इन्हे अच्छा व्यक्ति न मानते हुये भी समाज विरोधी न होने के कारण समाज का ही अंग माना जाता है। यदि हम भारत स्थित समाज का आकलन  करें तो यहां की कुल आबादी मे एक द

25 JULY VIDEO

Image
https://docs.google.com/file/d/0B4B_FonvHcE0WnJhRnZvNjQxT0k/edit What's on 25th July ?? click below Arvind Kejriwal at my place http://www.youtube.com/watch?v=0sT0h4GrtVc&feature=player_detailpage

ANUVRAT

Image
Anuvrat article published in a Bangalore daily 2006

Nuclear Weapons free world ??

Towards a nuclear weapons free world -: In absentia,  this paper presented in  National Seminar  organized by  India Development Foundation 3rd June 2012 Gandhi Bhavan Bangalore moderated by  former CJI Justice MN Venkatachalaiah Some Facts:   (1) No two functioning democracies have gone to war against each other post advent of NW (Nuclear Weapons). (2) Among the seven declared NW states, no democracy has acquired weapons in the perceived threat of another democracy. Either totalitarian states have acquired it or democracies have been forced to acquire it because of a clear and present threat from totalitarian states. History of NW usage: There have been only two (ghastly enough) instances of NW usage till date. Hiroshima and Nagasaki occurred as a riposte to sustained attack on a democratic society by a totalitarian state and an absence of a forum where the victim democracy could register its grievance. Worse, a non-existent mechanism to punish t

INVITATION: Public Consultation on Lokswaraj -Draft

https://docs.google.com/file/d/0B4B_FonvHcE0dmlVUFVLTXFWaVU/edit   HINDI @  http://www.kaashindia.com/?dl_id=177 https://docs.google.com/file/d/0B4B_FonvHcE0MmJHSjZEc1VZdlE/edit LOK SWARAJ People’s Manifesto For A New Polity         The entire constitutional structure of India, by omission or commission is a fusion of exploitative conspiracy against the Polite, the Poor, the Proletariat, and the Common citizen hatched by Criminals, Capitalists, Intellectuals and Politicians. We too are either overt or covert facilitators in fortifying this status-quo. A cerebral deliberation is essential to break this status-quo.         ‘Society’ is supreme, ‘nation’ its organ, ‘state’ an aid and ‘religion’ its guide. The root of all contemporary problems is the intense competition by The Nation, The State and Religion to assert themselves and marginalize The Society. A Systemic overhaul is called for to bring The Society into this mainstream. Preamble