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Media : Birth, Growth, Present & Future Challenge by AI

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  भारत : साहित्य एवं मीडिया महोत्सव   12.11.2024 को दीक्षांत मंडपम, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, मद्रास में,  सेलेब्रिटी सत्र का राष्ट्रीय संवाद, संयोजक डा० राम मोहन पाठक   संवाद वीडियो :  https://www.facebook.com/share/p/aTKGS6bNU1oZrUnE/ विषय : मीडिया का उद्भव से लेकर विकास से लेकर वर्तमान      ​दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, एक ऐसा स्थान है, जहां 1934 में मुंशी प्रेमचंद ने दीक्षांत भाषण दिया था। 90 वर्ष बाद उसी भवन में मंचासीन, डॉ दुर्गाप्रसाद श्रीवास्तव, मुंशी प्रेमचंद परिवार के चौथी पीढ़ी के साहित्यकार ने भी श्रोताओं को उद्बोधन दिया।        साहित्य किसी मौलिक विचार की कलात्मक अभिव्यक्ति होती है और मीडिया किसी विषय को व्यापक रूप देता है।  साहित्य विचार प्रधान होता है और मीडिया विषय प्रधान।  साहित्य व्यापक न भी हो तो साहित्य ही रहता है, जैसे कालिदास का रघुवंश ज्यादा लोग न भी पढे हों, तो भी वो साहित्य ही रहेगा, पर यदि कोई अखबार 50 लोग भी न पढें तो वो मीडिया नहीं माना जाएगा। मीडिया में विचार की गुणवत्ता कम और विषय को गणना में अधिक लोगों तक पहुंचाना महत्वपूर्ण होता है, साहित्य में किसी

Trump Wins USA 2024

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  Analysing Trump Victory  A convicted felon became  president by winning a popular election.  A paradox.  Why? How?      In present western society, Democracy is also referred to as "rule of law". That should ideally mean everyone is equal without exceptions. However, the etymology of democracy from ancient Greek is Demos & Kratia, which literally means -People's Rule. So over time, western society changed the definition of democracy from people's rule to rule of law.        From this definition, most democracies world over today frame laws for common people while those in power are exempted from it. A System OF people becomes a system FOR people.       Be it personal security, traffic, free food, free housing, free electricity, free travel...those in power get special privileges aka exemption  while citizens are not exempt & have to follow rules & spend on it. This creates a disenchantment with the system which perennially seems to people as pro elite &

Crime Prevention

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  बढ़ रहे बलात्कार-जिम्मेदार कौन ? https://epaper.dakshinbharat.com/view/1516/dakshin-bharat-karnataka/6#              को लकाता हो या कल्याण हो या बेंगलूरु तक, महिलाओं पर यौन उत्पीड़न की घटनाएं बेतहाशा बढ़ रही हैं । कभी चलती कार में, कहीं अस्पताल में, कहीं स्कूल में, कभी पहलवानों के साथ -लगातार ऐसी घटनाएं बढ़ ही रही हैं । चाहे 6 वर्ष की शहरी अबोध कन्या हो या अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त ग्रामीण महिला खिलाड़ी, इन सब के साथ क्रूरतापूर्ण दुष्कर्म की घटनाएँ भारत सहित विश्वभर में खबर बन रही है।       इतनी की, बड़े बड़े राजनेता भी कह रहे हैं की समाज को आत्ममंथन की जरूरत है । ये लोग यह भी कह रहे हैं की सरकार ने अपराधों से और प्रभावी ढंग से निपटने के लिए कानून को मजबूत बनाने के कार्य को तेजी से आगे बढ़ाया है । पर दूसरी तरफ सर्वोच्च अदालत ने तो आज ये कह दिया की महिला सुरक्षा सुनिश्चित करना अब किसी सरकार से संभव नहीं हो रहा है, तो इसीलिए न्यायपालिका ने स्वयं डाक्टरों की सुरक्षा हेतु एक राष्ट्रीय टास्क फ़ोर्स बना डाला।         मीडिया में चल रही लगातार बहस के दौरान भी भारत के बुद्धिजीवी कुछ ऐसी ही बातें

Independence Day 2024

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  स्वतन्त्र भारत में तंत्र लोक पर हावी कैसे ?  - सिद्धार्थ शर्मा   https://www.satyahindi.com/opinion/independence-day-and-the-people-of-india-141131.html      वर्तमान काल बड़ा रोमांचक है | जब चारों ओर विरोधाभास प्रतीत होने लगें तो ऐसा ही होता है | लोकतंत्र में भी ऐसा ही होता है जब आर्थिक सत्ता विकेन्द्रित हो किन्तु तंत्र की सता विकेन्द्रित नहीं होती | ऎसी स्थिति में उसके कुछ स्वाभाविक दुष्परिणाम होते है, जैसा आज के भारत में है | जब समाज को आर्थिक आजादी तो मिले पर राजनैतिक गुलामी बनी रहे तब पूँजी राज्यशक्ति के साथ भ्रष्ट समझौते कर अपनी शक्ति बढ़ा लेती है | साधारण नियम होता है कि केवल श्रम, मनुष्य को श्रमिक तथा केवल पूँजी व्यक्ति को वणिक बनाती है | अगर वणिक श्रम को खरीद ले तो वही उद्योगपति बन जाता है और अगर वो बुद्धि भी खरीद ले तो पूरी सत्ता ही हाथ लग जाती है | पूँजी+श्रम+बुद्धि = सत्ता |      भारत एक लोकतंत्र है | भारत के संविधान की उद्देशिका का प्रारम्भ ही "हम भारत के लोग" से होता है | 1946 से 1949 तक चली संविधान सभा ने भी इस बात पर जोर दिया था | उनके अनुसार संविध

Bangladesh PM Flees

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बांग्लादेश  में    हसीन दंभ भंग                                              प रिभाषा यदि गलत हो तो निष्कर्ष गलत ही निकलते हैं। बांग्लादेश में लोकतंत्र है। वहां की प्रधानमंत्री देश छोड के भाग गईं। वो प्रधानमंत्री जिसे मात्र छः महीने पहले चुनाव में वहां का चार सौ पार, यानी 224/350 सीटें मिली थीं। इतने कम समय में ऐसा क्या हुआ कि बम्पर बहुमत से जीती प्रधानमंत्री को भगोड़ा बनने की नौबत आ गई ?       हुआ ये कि उन्होंने और उनकी अवामी लीग पार्टी ने लोकतंत्र की परिभाषा गलत समझ ली। लोक तंत्र का अर्थ होता है लोक का तंत्र। अवामी लीग ने समझ लिया लोक के लिए तंत्र।       द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद विश्व भर के कई देशों में व्यवस्था परिवर्तन आया। रूस आदि देशों ने साम्यवाद अपनाया, चीन आदि देशों ने तानाशाही अपनाई, युरोप, भारतीय उपमहाद्वीप आदि ने लोकतंत्र अपनाया।       मगर लोकतंत्र दो प्रकार का होता है। एक, लोकतांत्रिक शासन पद्धति, दूसरी, लोकतांत्रिक जीवन पद्धति। युरोप, जापान आदि ने लोकतांत्रिक जीवन पद्धति मॉडल की व्यवस्था अपनाई तो भारतीय उपमहाद्वीप के देशों ने लोकतांत्रिक शासन पद्धति को अंगीकार किया।     

2024 Verdict = Decentralization

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2024 का चुनाव = 100 करोड लोग  सामूहिक इच्छाशक्ति की अभिव्यक्ति   https://www.satyahindi.com/analysis/loksabha-election-people-mandate-bjp-congress-vs-power-decentralisation-140231.html इस चुनाव में दो दलों का राष्ट्रीय पदचिह्न रहा। पर जीतने वाले दलों में इनके अलावा 46 अन्य दल एवं निर्दलीय भी रहे।       सबसे रोचक तथ्य ये है भाजपा और कांग्रेस को मिलाकर 60% से कम वोट मिले। इसका सीधा अर्थ ही है कि +40% जनता सत्ता को अपने से दूर देने के बजाए अपने से नजदीक रखने के लिए वोट करती है।       20ै24 के चुनाव में भाजपा ने खुल के विस्तारवादी रुख अपनाया और कांग्रेस ने क्षेत्रीय दलों को स्पेस दिया। नतीजों में 2019 की तुलना में कांग्रेस को 2% वोट, और करीब 55 सीट बढे तथा भाजपा का 2% वोट और 65 सीट घटे। ये तथ्य भी इसी ओर इंगित करता है कि जनता विस्तारवादिता को नकारती है।       1984 में भाजपा के पहली बार राष्ट्रीय पटल पर उभरने से लेकर 2024 तक के 10 चुनावों में एक बार भी कांग्रेस+भाजपा को मिलाकर 59% से अधिक वोट नहीं मिले, चाहे राजीव गाँधी या नरेंद्र मोदी 2.0 जैसी बडी बहुमत की सरकार हो, या चंद्रशेखर गुजराल की

How Tame an Autocracy In Under 2 Years

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How citizens can in their own small way resist an entire #ecosystem including adversarial #GodiMedia which drop by drop led to a deluge against #BJPGovernment https://www.facebook.com/share/v/UCAHsf8Zy2YGoKq6/ PARTS can indeed become larger than the SUM Buildup, May 2022 to May 2024 Prediction And Results June 2024 May 2022 BJP has become expert in running with the hare and hunting with the hound https://x.com/CNNnews18/status/1523716354779627520... August 2022 Aam Aadmi Party considers citizens of #Delhi as human investment https://x.com/CNNnews18/status/1563557958138884099... September 2022 Why is BJP hellbent on breaking other political parties and making them join their party? https://x.com/CNNnews18/status/1570049551578599424... October 2022 #DelhiGovernment gives dividends to public, not freebies https://x.com/CNNnews18/status/1578072417263845376... Why should a political party receive money without any checks and balances? https://x.com/CNNnews18/status/157807127